खुद रहने के लिए घर का इस्तेमाल कर रहे हैं तो टैक्स के इन नियमों को जान लीजिए

खुद रहने के लिए घर का इस्तेमाल कर रहे हैं तो टैक्स के इन नियमों को जान लीजिए
अगर आप घर के मालिक हैं तो आपको इसकी जानकारी इनकम टैक्स रिटर्न में देनी पड़ेगी, भले ही आप इस घर में खुद रह रहे हों या किराया पर दिया हो.
हाउस प्रॉपर्टी से इनकम को अलग मद में रखा जाता है. इस पर डिडक्शन का फायदा मिलता है. डिडक्शन इस बात पर निर्भर करता है कि घर सेल्फ ऑक्यूपाइड है या किराये पर दिया गया है. यहां हम बता रहे हैं कि सेल्फ ऑक्यूपाइड प्रॉपर्टी से इनकम होने पर टैक्स कैसे लगता है.
क्या होती है सेल्फ-ऑक्यूपाइड प्रॉपर्टी?
किसी घर को सेल्फ-ऑक्यूपाइड तब कहा जाता है जब मकान मालिक या उसके परिवार के सदस्य उसमें खुद रहते हों. यानी उसका इस्तेमाल रहने के मकसद से हो. किसी घर को तब भी सेल्फ-ऑक्यूपाइड ही कहा जाएगा अगर उसका मकान मालिक एक साल तक किसी दूसरी जगह नौकरी के कारण उसमें नहीं रहता है. उस मामले में भी घर को सेल्फ-ऑक्यूपाइड कहेंगे अगर उसे खरीदने वाला व्यक्ति अपने माता-पिता के साथ रहता है और प्रॉपर्टी को किराये पर नहीं उठाया जाता है.
कैसे निकाली जाती है एनुअल वैल्यू?
इनकम टैक्स रिटर्न में ‘इनकम फ्रॉम हाउस प्रॉपर्टी’ के मद में आपको हाउस प्रॉपर्टी का प्रकार चुनना पड़ता है. यानी आपको सेलेक्ट करना होगा कि प्रॉपर्टी सेल्फ ऑक्यूपाइड है या किराये पर दी गई है. ‘सेल्फ-ऑक्यूपाइड’ को चुनने पर उस घर की एनुअल वैल्यू को जीरो लिया जाता है.
कितनी मिलती टैक्स छूट?
सेल्फ-ऑक्यूपाइड हाउस के लोन पर किया गया ब्याज भुगतान डिडक्शन के लिए पात्र है. इनकम के मद में लोन पर ब्याज के तौर पर दी गई रकम यहां दर्ज की जा सकती है. सेल्फ-ऑक्यूपाइड घर के मामले में अभी डिडक्शन की अधिकतम सीमा 2 लाख रुपये है. फॉर्म में आप अधिकतम सीमा ही दर्ज कर सकते हैं. फिर चाहे आप असलियत में ज्यादा ब्याज का भुगतान ही क्यों न कर रहे हों.
कैसे किया जाता है टैक्स को एडजस्ट?
चूंकि सेल्फ-ऑक्यूपाइड प्रॉपर्टी की एनुअल वैल्यू को जीरो सेट किया जाता है. इसलिए ब्याज भुगतान की रकम निगेटिव अमाउंट के तौर पर दिखती है. इसे सैलरी इनकम या अन्य स्रोतों से इनकम जैसे इनकम के अन्य मदों से एडजस्ट किया जाता है. इस तरह टैक्स योग्य इनकम घट जाती है. ऐसे मामले में जहां करदाता की कोई दूसरी इनकम नहीं होती है, लॉस को कैरी फॉर्वर्ड किया जाता है.
किन बातों का रखें ध्यान
-‘हाउस प्रॉपर्टी’ में कोई बिल्डिंग और भूमि शामिल होती है जिसे किसी ने खरीदा है.
-अगर खरीदी गई प्रॉपर्टी का कमर्शियल इस्तेमाल होता है तो उसे हाउस प्रॉपर्टी से इनकम में शामिल नहीं किया जाना चाहिए.